हास्य संवादन

दोस्तों

*पति:* अजी सुनती हो ?

*पत्नी;*  नहीं, मैं तो जनम कि बहरी हूँ ।बोलो?

*पति:*  मैंने ऐसा कब कहा ?

*पत्नी:* तो अब कह लो, पूरी कर लो एक साथ, कोई भी हसरत अगर अधूरी रह गयी हो। 

*पति:* अरी भाग्यवान!!

*पत्नी:*  सुनो एक बात.... आइन्दा मुझे भाग्यवान तो कहना मत , फूट गए नसीब मेरे तुमसे शादी करके और कहते हो भाग्यवान हूँ ।

*पति:* एक कप चाय मिलेगी?

*पत्नी:* एक कप क्यों?
 लोटा भर मिलेगी और सुनो किसको सुना रहे हो ?
मैं क्या चाय बना के नहीं देती ?

*पति:* अरे यार कभी तो सीधे मुह बात...

*पत्नी:* बस .... आगे मत बोलना ,नहीं आता मुझे सीधे मुँह बात करना।
मेरा तो मुँह ही टेढ़ा है , यही कहना चाहते हो ना ?

*पति:* हे भगवान!!

*पत्नी:*  हाँ ... माँग लो भगवान जी से एक कप चाय ।
मै चली नहाने, और सुनो मुझे शैम्पू भी करना है देर लगेगी।
बच्चों को स्कूल से ले आना मेरे अकेले के नहीं हैं ।

*पति:* अरे ये सब क्या बोलती हो ?

*पत्नी:* क्यों झूठ बोल दिया क्या ? 
मैं क्या दहेज़ में ले कर आयी थी इनको ?

*पति:* अरे मैं कहाँ कुछ बोल रहा हूँ ?

*पत्नी:* अरे मेरे भोले बाबा, तुम कहाँ बोलते हो ? 
मैं तो चुप थी।
बोलना किसनेशुरू किया ? 
बताओ ...?

*पति:* अरे मैंने तो एक कप चाय मांगी थी।

*पत्नी:* चाय मांगी थी या मुझे बहरी कहा था ? 
क्या मतलब था तुम्हारा ? 
"अजी सुनती हो ?"का क्या मतलब था बताओगे ?

*पति:* अरे श्रीमती जी।
कभी तो मीठे से बोल लिया करो।

*पत्नी:* अच्छा...?.
मीठा नहीं बोली मैं कभी  ? 
तो ये दो दो नमूने क्या पड़ोसी के हैं. ?
 देख लिया है बहुत मीठा बोल कर।
बस अब और मीठा बोलने कि हिम्मत नहीं है मेरी।

*पति:* भूल रही हो मैडम ।

*पत्नी:* क्या भूल रही हूँ..?

*पति:*  अरे मुझे बात तो पूरी करने दो।
मैं कह रहा था कि पति हूँ तुम्हारा।

*पत्नी:*  अच्छा ..... मुझे नहीं पता था।
सूचना के लिए धन्यवाद।

*पति:* अरे नहीं चाहिए मुझे तुम्हारी चाय।
 बक बक बंद करो।

*पत्नी:* अरे वाह!! तुम्हे तो बोलना भी आता है ? बहुत अच्छे, 
चाय  पी के जाओ।
बाद में नहा लूँगी।

*पति:* गज़ब हो तुम भी।
 पहले तो बिना बात लड़ती हो फिर बोलती हो चाय पी के जाओ।

*पत्नी:* तो क्या करूँ ? 
तुम लड़ने का मौका कहाँ देते हो ? 
लड़ने का मन करे तो क्या पड़ोस में लड़ने जाऊँ?
               
*नोट:-* पत्नियों के अधिकारों का हनन न करें और उन्हें लङने का मौका अवश्य दें।

         स्त्री को प्रसन्न रख पाना
                 मिथ्या है,
              जब तक सीता
         राम के पास थीं उन्हें
         सोने का हिरण चाहिए था,
     जब पूरी सोने की लंका चरणों में थी
          तो  राम चाहिए थे..!!

                हे नादान पुरुष,
        जो काम प्रभु ना कर सके,
          वो तू करना चाहता है...☺️😊😢                
*सभी विवाहित पुरूषों को समर्पित*🌹

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