पक्षी ...एक कविता

*पक्षी*

ये भगवान के डाकिये हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।

हम तो समझ नहीं पाते हैं,
मगर उनकी लायी चिठि्ठयाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।

हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगन्ध भेजती है।

और वह सौरभ हवा में तैरती हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप
दूसरे देश का पानी
बनकर गिरता है।

*रामधारी सिंह दिनकर*

Comments

Popular posts from this blog

Science of Namaste 🙏

Children And Animals

World Record of Excellence – England 🌟