सुंदर कविता

प्रिय मित्रों

वफ़ा के फूल खिलाओ बहार-ए-होली है
नज़र नज़र से मिलाओ बहार-ए-होली है

हँसो तो सब को हँसाओ बहार-ए-होली है
दिलों की प्यास बुझाओ बहार-ए-होली है

नज़र से दिल में समाओ बहार-ए-होली है
गले से सब को लगाओ बहार-ए-होली है

वफ़ा का रंग जमाओ बहार-ए-होली है
तराने प्यार के गाओ बहार-ए-होली है

न हम से रूठ के जाओ बहार-ए-होली है
अब आओ लौट भी आओ बहार-ए-होली है

रंगों में रंग रचाओ बहार-ए-होली है
दिलों का भेद मिटाओ बहार-ए-होली है

गुलाल अबीर उड़ाओ बहार-ए-होली है
मनाओ जश्न मनाओ बहार-ए-होली है

धन्यवाद

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