Bye Bye 2021
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Authored by Gulzar Sahib🙏
गुलज़ार की कविता,2021 को बिदाई
आहिस्ता चल ज़िंदगी
अभी कई कर्ज़ चुकाना बाकी है
कुछ दर्द मिटाना बाकी है
कुछ फ़र्ज़ निभाना बाकी है
रफ्तार में तेरे चलने से
कुछ रूठ गए,कुछ छूट गए
रूठो को मनाना बाकी है
रोतो को हंसाना बाकी है
कुछ हसरते अभी अधूरी है
कुछ काम भी अभी जरूरी है
ख्वाइशें जो घुट गई इस दिल में
उनको दफनाना बाकी है
कुछ रिश्ते बनकर टूट गए
कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए
उन टूटे छूटे रिश्तों के
ज़ख्मों को मिटाना बाकी है
तू आगे चल में आता हूँ
क्या छोड़ तुझे जी पाऊंगा ?
इन साँसों पर हक है जिनका
उनको समझाना बाकी है
आहिस्ता चल ज़िंदगी
अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है
Kind Regards
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