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जीवन_का_सत्य🙏

जीवन की अनिश्चितता एवम् जीवन_का_सत्य जीवन… एक सुंदर, पर अत्यंत अनिश्चित कथा है.  कभी कोई सैर पर निकला — और गोली उसकी अंतिम विदाई बन गई.  कोई विजय उत्सव देखने गया — और भीड़ ने उसे हमेशा के लिए खामोश कर दिया. कोई अपने सपनों को उड़ान देने चला था — और विमान ही उसकी चिता बन गया.  और कोई छात्रावास में भविष्य के सपने बुन रहा था — आकाश से मौत बरस गई….......... किसी ने भी नहीं सोचा था कि मृत्यु यूँ छुपकर आएगी, और जीवन के रंगमंच से अचानक पर्दा गिरा देगी.  हम जीवन के पन्नों पर कल की योजनाएँ रचते हैं, पर प्रारब्ध शायद मुस्कराकर कहता है  “मैंने कुछ और ही सोचा है तुम्हारे लिए…”  तो फिर क्यों न इस पल को पूर्णता से जिया जाए? क्यों न हर रिश्ते को गहराई से महसूस किया जाए? ना मन में कोई शिकवा हो, ना हृदय में कोई विष घुले.  माफ़ कर दीजिए, गले लगा लीजिए, क्योंकि कौन जाने… अगला सूरज किसके लिए उगेगा या नहीं। जीवन एक अमूल्य उपहार है — इसे कल के इंतज़ार में मत खोइए। हर क्षण को प्रेम से सजाइए, और अपनों के साथ बाँटिये  🌸 क्योंकि अंत में, सांसें थम जाती हैं… पर यादें रह जात...

मदद और दया सबसे बड़ा धर्म !!

1️⃣3️⃣❗0️⃣6️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣5️⃣ *♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*        *!! मदद और दया सबसे बड़ा धर्म !!* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ किशोर नाम का एक लड़का था जो बहुत गरीब था। दिन भर कड़ी मेहनत के बाद जंगल से लकड़ियाँ काट के लाता और उन्हें जंगल में बेचा करता। एक दिन किशोर सिर पर लकड़ियों का गट्ठर लिए जंगल से गुजर रहा था। अचानक उसने रास्ते में एक बूढ़े इंसान को देखा जो बहुत दुर्बल था उसको देखकर लगा कि जैसे उसने काफी दिनों खाना नहीं खाया है। किशोर का दिल पिघल गया, लेकिन वो क्या करता उसके पास खुद खाने को नहीं था वो उस बूढ़े व्यक्ति का पेट कैसे भरता? यही सोचकर दुःखी मन से किशोर आगे बढ़ गया। आगे कुछ दूर चलने के बाद किशोर को एक औरत दिखाई दी जिसका बच्चा प्यास से रो रहा था क्यूंकि जंगल में कहीं पानी नहीं था। बच्चे की हालत देखकर किशोर से रहा नहीं गया लेकिन क्या करता बेचारा उसके खुद के पास जंगल में पानी नहीं था। दुःखी मन से वो फिर आगे चल दिया। कुछ दूर जाकर किशोर को एक व्यक्ति दिखाई दिया जो तम्बू लगाने के लिए लकड़ियों की तलाश में था। किशोर ने उसे लकड़ियाँ बेच दीं और बदले में उसने किशोर को कुछ खान...

12 जून 2025 का काला दिन**अहमदाबाद में प्लेन क्रैश*

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: * हम योजना बनाते हैं, लेकिन होता वही है जो परमात्मा चाहता है.*. 🌿 *जीवन को प्रेम, करुणा और विश्वास के साथ जिएं।* *अपनों को समय दें, कृतज्ञ रहें, और हर पल को संपूर्णता से जिएं क्योंकि अगला क्षण हमारे हाथ में नहीं।* *सर्वे भवन्तु सुखिन:* 🙌🌹🙌🌹🙌🌹 : *"आज के जमाने में इंसान...* *"सुख" से ज्यादा "शौक" के पीछे दौड़ता है;* *इसलिए ही तो..* *"नींद" के लिए "गोली" और..* *"जगने" के लिए "एलार्म" लगाता है!!* *꧁༺⫷ 𝗚𝗼𝗼𝗱 ☕ 𝗠𝗼𝗿𝗻𝗶𝗻𝗴 ⫸༻꧂* *꧁ 𝗪𝗶𝘀𝗵 𝗬𝗼𝘂 𝗔 𝗟𝗼𝘃𝗲𝗹𝘆 𝗗𝗮𝘆 ꧂* 🤍🩶🖤 *12 जून 2025 का काला दिन* *अहमदाबाद में प्लेन क्रैश*  पल भर में सब ख़त्म हो गया, कई जिंदगी हो गईं ख़ाक, हंसती बोलती मानव काया , क्षण भर में, हो गई राख। सपने संजोएं दिल में अपने, यात्रा शुरू हुई थी, लंदन में, भविष्य की खुशियां, मन में दबी हुई थी। भस्म हो गईं सारी खुशियां, सपने लील लिए अग्नि ने, Doctor बन,  देश  सेवा, करने जो शिक्षा शुरू हुई थी। धुआं धुआं हर दिशा हो गई, सब कुछ हो गया बरबाद। कैसे दिलासा दे अब कोई, कैसे करे मन मा...

आज का सुविचार

*🌹 आज का सुविचार🌹* *सड़क कितनी भी साफ हो  "धूल" तो हो ही जाती है,* *इंसान कितना भी अच्छा हो "भूल" तो हो ही जाती* *मैं अपनी 'ज़िंदगी' मे हर किसी को* *अहमियत' देता हूँ...क्योंकि जो 'अच्छे' होंगे वो 'साथ' देंगे...* *और जो 'बुरे' होंगे वो 'सबक' देंगे...!!* *जिंदगी जीने के लिए सबक और साथ दोनों जरुरी होता है।*   *सपने वो होते हें*             *जो  सोने  नही  देते*         *और  अपने  वो   होते   है*            *जो रोने  नही देते !*      *प्यार इंसान से करो उसकी आदत से नही*            *रुठो उनकी बातो से*                   *मगर उनसे नही...*            *भुलो   उनकी  गलतीया*                     *पर उन्हें नही*                   ...

श्यामलाल जी

श्यामलाल जी पहले बहुत परेशान रहते थे। उन्हें ठीक से नींद नहीं आती थी, उनका शरीर थका रहता था। वह चिड़चिडे हो गए थे, बात-बात पर नाराज़ हो जाते थे । हर समय कोई न कोई बीमारी घेरे रहती थी। पर फिर एक दिन कुछ बदल गया। एक दिन उनकी पत्नी बोलीं: "मैं एक महीने के लिए मायके जाउंगी, परिवार के साथ बैठकर थोड़ा समय बिताऊँगीं।" श्यामलाल जी ने बस इतना ही कहा: "ठीक है।" लड़का बोला: "पिताजी, मेरी पढ़ाई में बहुत परेशानी चल रही है।" श्यामलाल जी बोले: "कोई बात नहीं बेटा, सुधार हो जाएगा। नहीं हुआ तो साल दोहराना पड़ेगा, लेकिन फीस तुम खुद दोगे।" बेटी ने कहा: "पिताजी कार का एक्सीडेंट हो गया।" श्यामलाल जी बोले : "कोई बात नहीं, गाड़ी मैकेनिक को दिखा दो, खर्चा देखो और खुद व्यवस्था करो। जब तक ठीक नहीं होती, बस या मेट्रो से चलो।" बहन बोली: "भैया , मैं कुछ महीने आपके घर रहना चाहती हूँ।" श्यामलाल जी ने सहजता से कहा: "ठीक है, बैठक में रह लो। अलमारी में रजाई-कंबल हैं, निकाल लो।" घर में रहने वाले सभी लोग अचंभित थे — ये वही पिता हैं? उन्हें  लगा...

आज का दिन बहुत भारी है।

आज का दिन बहुत भारी है। अहमदाबाद में हुआ विमान हादसा सिर्फ एक समाचार नहीं है — यह दुख का पहाड़ है, जो ना जाने कितने घरों पर टूट पड़ा। वो विमान सिर्फ एक मशीन नहीं थी — वो एक चलती हुई उम्मीद थी, जिसमें बैठे थे हमारे अपने… कोई भारत का था, कोई विदेश से था, कोई किसी की माँ थी, कोई बेटे के पास लौट रहा था, कोई नौकरी के सफर में था, कोई छुट्टी मनाकर वापस आ रहा था। लेकिन किसी को भी क्या पता था… कि यह यात्रा उनकी अंतिम यात्रा बन जाएगी। मन व्यथित है… हृदय मौन है… आँखें नम हैं… हम उन सभी परिवारों के साथ हैं जो आज अपने अपनों को खो बैठे हैं। ईश्वर से प्रार्थना है — कि जो इस हादसे में दिवंगत हुए, उनकी आत्मा को शांति दे। और जो इस समय पीड़ा में हैं, उन्हें धैर्य, साहस और सहारा दे। आज न भाषा काम आती है, न तर्क… बस एक बात कहनी है: हम आपके साथ हैं। पूरी मानवता आपके साथ है। और यह देश, हर पीड़ित परिवार को नमन करता है। ॐ शांति। नमन और श्रद्धांजलि।

श्यामलाल जी

श्यामलाल जी पहले बहुत परेशान रहते थे। उन्हें ठीक से नींद नहीं आती थी, उनका शरीर थका रहता था। वह चिड़चिडे हो गए थे, बात-बात पर नाराज़ हो जाते थे । हर समय कोई न कोई बीमारी घेरे रहती थी। पर फिर एक दिन कुछ बदल गया। एक दिन उनकी पत्नी बोलीं: "मैं एक महीने के लिए मायके जाउंगी, परिवार के साथ बैठकर थोड़ा समय बिताऊँगीं।" श्यामलाल जी ने बस इतना ही कहा: "ठीक है।" लड़का बोला: "पिताजी, मेरी पढ़ाई में बहुत परेशानी चल रही है।" श्यामलाल जी बोले: "कोई बात नहीं बेटा, सुधार हो जाएगा। नहीं हुआ तो साल दोहराना पड़ेगा, लेकिन फीस तुम खुद दोगे।" बेटी ने कहा: "पिताजी कार का एक्सीडेंट हो गया।" श्यामलाल जी बोले : "कोई बात नहीं, गाड़ी मैकेनिक को दिखा दो, खर्चा देखो और खुद व्यवस्था करो। जब तक ठीक नहीं होती, बस या मेट्रो से चलो।" बहन बोली: "भैया , मैं कुछ महीने आपके घर रहना चाहती हूँ।" श्यामलाल जी ने सहजता से कहा: "ठीक है, बैठक में रह लो। अलमारी में रजाई-कंबल हैं, निकाल लो।" घर में रहने वाले सभी लोग अचंभित थे — ये वही पिता हैं? उन्हें  लगा...