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भगवान पर आस्था🌺*

*🌺भगवान पर आस्था🌺* एक पुरानी सी इमारत में था वैद्यजी का मकान था।पिछले हिस्से में रहते थे और अगले हिस्से में दवाख़ाना खोल रखा था।उनकी पत्नी की आदत थी कि दवाख़ाना खोलने से पहले उस दिन के लिए आवश्यक सामान एक चिठ्ठी में लिख कर दे देती थी। वैद्यजी गद्दी पर बैठकर पहले भगवान का नाम लेते फिर वह चिठ्ठी खोलते। पत्नी ने जो बातें लिखी होतीं,उनके भाव देखते,फिर उनका हिसाब करते।  फिर परमात्मा से प्रार्थना करते कि हे भगवान ! मैं केवल तेरे ही आदेश के अनुसार तेरी भक्ति छोड़कर यहाँ दुनियादारी के चक्कर में आ बैठा हूँ। वैद्यजी कभी अपने मुँह से किसी रोगी से फ़ीस नहीं माँगते थे।  कोई देता था, कोई नहीं देता था किन्तु एक बात निश्चित थी कि ज्यों ही उस दिन के आवश्यक सामान ख़रीदने योग्य पैसे पूरे हो जाते थे, उसके बाद वह किसी से भी दवा के पैसे नहीं लेते थे चाहे रोगी कितना ही धनवान क्यों न हो। एक दिन वैद्यजी ने दवाख़ाना खोला। गद्दी पर बैठकर परमात्मा का स्मरण करके पैसे का हिसाब लगाने के लिए आवश्यक सामान वाली चिट्ठी खोली तो वह चिठ्ठी को एकटक देखते ही रह गए। एक बार तो उनका मन भटक गया। उन्हें अपनी आँखों के सामने तारे चमकत

Albert Einstein

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(1 ) अल्बर्ट #आइंस्टीन की पत्नी अक्सर उन्हें सलाह देती थीं कि वह काम पर जाते समय अधिक प्रोफेशनल तरीके से कपड़े पहनें। आइंस्टीन हमेशा कहते, "क्यों पहनूं? वहाँ सब मुझे जानते हैं।" लेकिन जब उन्हें पहली बार एक बड़े सम्मेलन में जाना था, तो उनकी पत्नी ने उनसे थोड़ा सज-धजकर जाने का अनुरोध किया। इस पर आइंस्टीन बोले, "क्यों पहनूं? वहाँ तो मुझे कोई नहीं जानता!" (3) आइंस्टीन से अक्सर सापेक्षता के सिद्धांत को समझाने के लिए कहा जाता था। एक बार उन्होंने समझाया, "अपना हाथ एक गर्म चूल्हे पर एक मिनट के लिए रखो, तो वह एक घंटे जैसा महसूस होगा। एक खूबसूरत लड़की के साथ एक घंटे बैठो, तो वह एक मिनट जैसा लगेगा। यही है सापेक्षता!" (4) जब अल्बर्ट आइंस्टीन प्रिंसटन विश्वविद्यालय में काम कर रहे थे, तो एक दिन घर जाते समय उन्हें अपना घर का पता भूल गया। टैक्सी ड्राइवर ने उन्हें पहचाना नहीं। आइंस्टीन ने ड्राइवर से पूछा कि क्या वह आइंस्टीन का घर जानता है। ड्राइवर ने कहा, "आइंस्टीन का पता कौन नहीं जानता? प्रिंसटन में हर कोई जानता है। क्या आप उनसे मिलना चाहते हैं?" आइं

*मेरे दोस्तों को समर्पित*🙏

दोस्त का कोई ɢᴇɴᴅᴇʀ नही होता और दोस्ती का कोई ꜰᴏᴜɴᴅᴇʀ नही होता मन मिल जाने की बात है सारी कब क्यूँ कहाँ का कोई ᴄᴀʟᴇɴᴅᴇʀ नही होता !! बिन कहे देख पाता है  तकलीफ दिल की रिश्तों जैसा इसमें कोई ʙʟᴜɴᴅᴇʀ नही होता! साथ निभाने की कोई सीमा नही होती छोड़ जाने का कोई ᴡᴏɴᴅᴇʀ नही होता ! साथ देते हैं दोस्त  आखिरी सांस तक क्योंकि दोस्ती का कोई ᴛᴇɴᴅᴇʀ नही होता ! दोस्त हैं ऑक्सीजन ज़िन्दगी की मगर इस गैस का कोई ᴄyʟᴇɴᴅᴇʀ नही होता ! पहचान लें जो आँख का ऑंसू बारिशों में भी वो दोस्त है कोई ᴀʟʟ ʀᴏᴜɴᴅᴇʀ नही होता ! खींच लेते हैं दोस्त हर ग़म की चादर इन जैसा कोई ᴀʟʟᴇxᴇɴᴅᴇʀ नही होता ! लाइफ लाइन हैं दोस्त ज़िन्दगी की और दोस्ती का कोई ɢᴇɴᴅᴇʀ नही होता !!!! *मेरे  दोस्त को समर्पित*

Song of the Day

Let’s start the day with  Tarachand Barjatya’s 1977 superhit family drama musical film *”Dulhan Wahi Jo Piya Man Bhaye”* directed by Lekh Tandon.  The film starred Prem Kishen and Rameshwari. They were supported by Shyamlee, Iftekhar, Leela Mishra, Shashikala, Viju Khote, Jagdeep and Madan Puri.  Remake of "I'd Rather Be Rich". Dulhan wahi jo piya man bhaaye” was not a mainstream movie. It was a movie made by Rajshree productions and as was their wont, there were no big names in this movie. Hero was Prem Kishan (Premnath’s son), heroine was a debutant from south called Rameshwari which some people continued to confuse with Rekha even after the success of this movie . And Rameshwari took serious exception, asking who is Rekha ? Yes, Rekha was a nobody those days, and Rameshwari had become a hot name after this movie. People who were into watching simple clean movies were bowled over by this movie in general and Rameshwari in particular Rameshwari graduated from the institu

पता नही चला

* उन सभी को नमन* *जो अपने परिवार के लिए* *21 से 55 वर्ष घर सम्भालने  में* *व्यस्त रहे । आज उनके*.        *लिए समर्पित एक* *छोटी सी रचना*   *भेज रहा हूं । 🙏* *कैसे कटा 21 से 55*  *तक का यह सफ़र,*  *पता ही नहीं चला ।*😔 *क्या पाया, क्या खोया,* *क्यों खोया,* *पता ही नहीं चला !*😒 *बीता बचपन,*  *गई जवानी*  *कब आया बुढ़ापा,*  *पता ही नहीं चला ।*🤔 *कल बेटे थे,*  *कब ससुर बन गये,*  *पता ही नहीं चला !*😊 *कब पिता से*  *नाना  एवं दादा  बन गये,*  *पता ही नहीं चला ।* 😜 *कोई कहता सठिया गया,* *कोई कहता छा गया,*  *क्या सच है,*  *पता ही नहीं चला !*😉 *पहले माँ बाप की चली,* *फिर पत्नी की चली,*  *फिर चली बच्चों की,*  *अपनी कब चली,*  *पता ही नहीं चला !*😀 *पत्नी कहती*  *अब तो समझ जाओ,*  *क्या समझूँ,*  *क्या न समझूँ,*  *न जाने क्यों,*  *पता ही नहीं चला !*🤷‍♀️          *दिल कहता जवान हूँ मैं,* *उम्र कहती है नादान हूँ मैं,*  *इस चक्कर में कब*  *घुटनें घिस गये,*  *पता ही नहीं चला !*😱 *सफेद हो  गये बाल,*  *लटक गये गाल,*  *लग गया चश्मा,*  *कब बदली यह सूरत*  *पता ही नहीं चला !* *समय बदला,*  *मैं बदला*  *ब

हरि मिलन🙏

हरि मिलन 〰️🌼🌼〰️ सबरी को आश्रम सौंपकर महर्षी मतंग जब देवलोक जाने लगे तब सबरी भी साथ जाने की जिद करने लगी। सबरी की उम्र दस वर्ष थी। वो महर्षि मतंग का हाथ पकड़ रोने लगी महर्षि सबरी को रोते देख व्याकुल हो उठे! सबरी को समझाया "पुत्री इस आश्रम में भगवान आएंगे यहां प्रतीक्षा करो!" अबोध सबरी इतना अवश्य जानती थी कि गुरु का वाक्य सत्य होकर रहेगा!  उसने फिर पूछा "कब आएंगे? महर्षि मतंग त्रिकालदर्शी थे वे भूत भविष्य सब जानते थे वे ब्रह्मर्षि थे। महर्षि सबरी के आगे घुटनों के बल बैठ गए, सबरी को नमन किया  आसपास उपस्थित सभी ऋषिगण असमंजस में डूब गए, ये उलट कैसे हुआ!  गुरु यहां शिष्य को नमन करे! ये कैसे हुआ? महर्षि के तेज के आगे कोई बोल न सका!  महर्षि मतंग बोले "पुत्री अभी उनका जन्म नही हुआ!" अभी दसरथजी का लग्न भी नही हुआ! उनका कौशल्या से विवाह होगा! फिर भगवान की लम्बी प्रतीक्षा होगी फिर दसरथजी का विवाह सुमित्रा से होगा ! फिर प्रतीक्षा! फिर उनका विवाह कैकई से होगा फिर प्रतीक्षा! फिर वो जन्म लेंगे! फिर उनका विवाह माता जानकी से होगा! फिर उन्हें 14 वर्ष वनवास होगा और फिर वनवास के आ

A superb Analysis

Buying a Car v/s Hire a Cab:  A superb Analysis Any car  in india cost atleast Rs. 6,00,000 Scrap value after six year -  Rs. 1,00,000 Net amount goes in effective Life of six year  Rs. 5,00,000 Nos of days of six yr is 2200 days So Rs. 5,00,000/2200 = Rs. 230/day Yearly insurance Rs 15000 = Rs. 41/day Daily petrol minimum  = Rs. 100/Day After every 3 years Tyre & Battery change charge Rs. 25,000 i.e. = Rs. 23/day Yearly maintanance of Car Rs. 9000 i.e  = Rs. 25/day Plus interest loss on Car buying amount @8%on Rs. 6,00,000 = Rs 131/day                                           _______________ So after buying new car daily expenditure is = Rs. 850/day. ⚖ So friends untill you pay Rs. 850 daily to hire a cab, you are effectively in gain travelling in rental car.  OLA / UBER now available. Above all driving cars on Indian roads is full of risk and Mental tension/BP..... Make use of METRO rail wherever available. If u agree share with others. This is called Financial planning and thin