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क्या बिना कुंभ स्नान के मोक्ष संभव है?"

फरवरी के अंत तक देश में दो ही तरह के लोग बचेंगे—एक वे, जिन्होंने कुंभ में स्नान कर लिया और दूसरा वे, जिन्होंने कुंभ में स्नान नहीं किया। यह विभाजन जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र से ऊपर उठकर नई पहचान गढ़ रहा है—"स्नानी" बनाम "अस्नानी"। कुंभ में स्नान कर चुके लोग खुद को शुद्धता का आखिरी प्रमाणपत्र मानेंगे। उनके चेहरे की चमक किसी फेशियल क्रीम से नहीं, बल्कि गंगा जल की बूंदों से उपजी होगी। वे किसी भी तर्क-वितर्क में यह कहकर जीत जाएंगे—"पहले स्नान कर आओ, फिर बात करना।" धर्म और आस्था की भावना से लबरेज, वे खुद को मोक्ष के एक कदम करीब मानेंगे और दूसरों को अधूरे जीवन का बोझ उठाने वाला समझेंगे। दूसरी तरफ वे होंगे, जो कुंभ में नहीं जा पाए—कारण चाहे जो भी रहा हो। ऑफिस की छुट्टी नहीं मिली, ट्रेन की टिकट नहीं मिली, या बस आलस कर गए। इन्हें जीवनभर इस ग्लानि से जूझना पड़ेगा कि वे 2025 के ऐतिहासिक स्नान युग का हिस्सा नहीं बन पाए। स्नानी मित्र उनसे मिलते ही ताने मारेंगे—"अरे, तुम तो अभी तक अपवित्र ही घूम रहे हो!" सरकार आगे चलकर स्नान करने वालों को प्रमाण पत्र दे सकती है...

Roop Tera Aisa"*

Let’s start the day with Shomu Mukerjee’s 1972 drama film *”Ek Bar Mooskura Do”* directed by Ram Mukerjee.  The film starred Joy Mukerjee, Tanuja and Deb Mukerjee. They were supported by Rajendranath, Iftekhar, Bipin Gupta, Sajjan and Shobhna Samarth.  Film was more of a family production with brother's Joy Mukherjee and Deb Mukherjee as the lead hero's.Tanuja as lead heroine wife of producer Shomu Mukherjee (brother of Joy and Deb).Ram Mukherjee (Father of Rani Mukherjee) cousin to Joy,Shomu and Deb.Shobhna Samarth mother of Tanuja. This is one of those songs that I had loved listening to during its time without being aware of any of its details. The fact that this song is composed by O P Nayyar will come as a surprise to most music lovers. The picturisation shows Deb Mukherji, singing this song after losing out his lady love to Joy Mukherji and singing this songduring the wedding of Joy Mukherji. The picturisation will make most people squeamish because the lady in question ...

रिसोर्ट वाली नई बीमारी*

🙏🏼 * रिसोर्ट वाली नई बीमारी* सामाजिक भवन अब उपयोग में नहीं लाए जाते हैं, शादी समारोह हेतु यह सब बेकार हो चुके हैं। कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल में शादियाँ होने की परंपरा चली, परंतु वह दौर भी अब समाप्ति की ओर है। अब शहर से दूर महंगे रिसोर्ट में शादियाँ होने लगी हैं, शादी के 2 दिन पूर्व से ही ये रिसोर्ट बुक करा लिया जाते हैं और शादी वाला परिवार वहां शिफ्ट हो जाता है, आगंतुक और मेहमान सीधे वहीं आते हैं और वहीं से विदा हो जाते हैं,  इतनी दूर होने वाले समारोह में जिनके पास अपने चार पहिया वाहन होते हैं वहीं पहुंच पाते हैं।  और सच मानिए समारोह में बुलाने वाला भी यही स्टेटस चाहता है। कि सिर्फ कार वाले मेहमान ही आए और वह निमंत्रण भी उसी श्रेणी के अनुसार देता है दो तीन तरह की श्रेणियां आजकल रखी जाने लगी है : - किसको सिर्फ लेडीज संगीत में बुलाना है - किसको सिर्फ रिसेप्शन में बुलाना है - किसको कॉकटेल पार्टी में बुलाना है - और किस वीआईपी परिवार को इन सभी कार्यक्रमों में बुलाना है। इस निमंत्रण में अपनापन की भावना खत्म हो चुकी है, सिर्फ मतलब के व्यक्तियों को या परिवारों को आमंत्र...

परिश्रम रूपी धन !

1️⃣9️⃣❗0️⃣2️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣5️⃣ *♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*            *!! परिश्रम रूपी धन !!* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ सुन्दरपुर गांव में एक किसान रहता था। उसके चार बेटे थे। वे सभी आलसी और निक्कमे थे। जब किसान बुढ़ा हुआ तो उसे बेटों की चिंता सताने लगी। एक बार किसान बहुत बीमार पड़ा। मृत्यु निकट देखकर उसने चार बेटों को अपने पास बुलाया। उसने उस चारों को कहा, “मैंने बहुत-सा धन अपने खेत में गाड रखा है। तुम लोग उसे निकाल लेना।” इतना कहते-कहते किसान के प्राण निकल गए। पिता का क्रिया-क्रम करने के बाद चारों भाइयों ने खेत की खुदाई शुरू कर दी। उन्होंने खेत का चप्पा-चप्पा खोद डाला, पर उन्हें कही धन नहीं मिला। उन्होंने पिता को खूब कोसा। वर्षा ऋतु आने वाली थी। किसान के बेटों ने उस खेत में धान के बीज बो दिए। वर्षा का पानी पाकर पौधे खूब बढ़े। उन पर बड़ी-बड़ी बालें लगी। उस साल खेत में धान की बहुत अच्छी फसल हुई। चारों भाई बहुत खुश हुए। अब पिता की बात का सही अर्थ उनकी समझ में आ गया। उन्होंने खेत की खुदाई करने में जो परिश्रम किया था, उसी से उन्हें अच्छी फसल के रूप में बहुत धन मिल...

नमन🙏

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सोचिए.... पहले दिन कोई आपके नाखून उखाड़े  अगले दिन आपके दात तोड़े  तीसरे दिन आपकी अंगुलिया काटे  चौथे दिन आपके कान काटे  पांचवे दिन आंख फोड़े  छठवें दिन आपके शरीर का मांस नोचा जाए  सातवां दिन आठवां दिन नौवां दिन  दसवां दिन खाल उतार ली जाए 11,12,13,14,15, और उन्तालीस वे दिन गर्दन काट ली । इतना अत्याचार वो भी क्यों..?? क्योंकि आप इस्लाम कबूल नहीं कर रहे है। जानते है उसका नाम.... संभा जी महराज....😭 जिन्हें शिवाजी का पुत्र और उतराधिकारी कहते हैं। और ये सब किसने करवाया..?? औरंगजेब ने  कैसी वीरता होगी ? ऐसे सनातनी योद्धा की संभा जी महराज को नमन 🙏🏼 और अपने ही देश में अब तक इस अत्याचारी के नाम महाराष्ट्र में शहर था औरंगाबाद  जिसे बदल कर संभा जी नगर कर दिया । और हा इस नाम को बदलने का विरोध किसने किया । औरंगजेब की कब्र का रिन्वेशन  किसकी सरकार में हुआ बताने की जरूरत नहीं आप सब खुद समझदार हैं। कृपया ग्रुप के सभी  लोगो से  विनम्र निवेदन है की वो  छावा  movie  जरूर देखे क्यूंकि हमारी आने वाली पीढ़ी को इतिहास का ...

स्वयं का कल्याण होगा !!

* किसी ने क्या खूब लिखा है :-* *आइये पुण्य कमाते हैं …*           *घर में ही कुम्भ मनाते हैं* *प्रेम अपनत्व आनंद की …*         *त्रिवेणी में परिवार संग*                      *डुबकी लगाते हैं* *क्या हुआ जो जा न पाए …*                    *करने कुम्भ स्नान* *क्या हुआ जो ले ना पाए …*       *संत-महात्मों से आशीर्वाद* *आइये बुजुर्गों को …*                  *शीश नवाते हैं*                 *घर में कुम्भ मनाते हैं* *आइए सब परिजन मिल …*      *आध्यात्मिक चिंतन करते हैं* *साथ बैठ कर सब संग …*                 *भजन कीर्तन करते हैं* *दान पुण्य आज …*          *मिल कर हम करते हैं*                  *घर में कुम्भ मनाते है* *गंगा सा पवित्...

स्वयं का कल्याण होगा !!

* किसी ने क्या खूब लिखा है :-* *आइये पुण्य कमाते हैं …*           *घर में ही कुम्भ मनाते हैं* *प्रेम अपनत्व आनंद की …*         *त्रिवेणी में परिवार संग*                      *डुबकी लगाते हैं* *क्या हुआ जो जा न पाए …*                    *करने कुम्भ स्नान* *क्या हुआ जो ले ना पाए …*       *संत-महात्मों से आशीर्वाद* *आइये बुजुर्गों को …*                  *शीश नवाते हैं*                 *घर में कुम्भ मनाते हैं* *आइए सब परिजन मिल …*      *आध्यात्मिक चिंतन करते हैं* *साथ बैठ कर सब संग …*                 *भजन कीर्तन करते हैं* *दान पुण्य आज …*          *मिल कर हम करते हैं*                  *घर में कुम्भ मनाते है* *गंगा सा पवित्...