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जय श्री राम🙏

सभी  मित्रो और विद्वत जनों से निवेदन है की इस जानकारी को जरूर पढ़ें इसमें राम वन गमन का सम्पूर्ण उल्लेख है ।  राम  वन गमन या वनवास की यात्रा पथ गमन पर विस्तारित लेख का आनंद ले समय का सदुपयोग करें जरूर पढ़े व बच्चो को भी यह वृतांत सुनाए *1.तमसा नदी* : अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी। यहां पर उन्होंने नाव से नदी पार की।   *2.श्रृंगवेरपुर तीर्थ* : प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था। श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है।   *3.कुरई गांव* : सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम कुरई में रुके थे।   *4.प्रयाग*: कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। प्रयाग को वर्तमान में इलाहाबाद कहा जाता है।    *5.चित्रकूणट* : प्रभु श्रीराम ने प्रयाग संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। चित्रकूट वह स्थान है, जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते हैं। तब जब दशरथ का देहांत हो जाता ...

रवीन्द्र जैन 🙏

रवीन्द्र जैन (जन्म- 28 फ़रवरी, 1944, निधन: 9 अक्टूबर, 2015) प्रसिद्ध संगीतकार तथा गायक थे। मुख्यत: उन्हें भजन गायक के रूप में ख्याति मिली थी। रवीन्द्र जैन हिन्दी सिनेमा के ऐसे संगीतकार थे, जिन्होंने मन की आँखों से दुनिया को समझा। सरगम के सात सुरों के माध्यम से उन्होंने जितना समाज से पाया, उससे कई गुना अधिक अपने श्रोताओं को लौटाया। वे मधुर धुनों के सर्जक होने के साथ बेहतरीन गायक भी रहे और अधिकांश गीतों की आशु रचना भी उन्होंने करके सबको चौंकाया। मन्ना डे के दृष्टिहीन चाचा कृष्णचन्द्र डे के बाद रवीन्द्र जैन दूसरे व्यक्ति थे, जिन्होंने दृश्य-श्रव्य माध्यम में केवल श्रव्य के सहारे ऐसा इतिहास रचा, जो युवा-पीढ़ी के लिए अनुकरणीय बन गया।  *प्रसिद्ध गीत*: 'गीत गाता चल', 'जब दीप जले आना', 'ले तो आए हो हमें सपनों के गांव में', 'एक राधा एक मीरा', 'अंखियों के झरोखों से', 'मैंने जो देखा सांवरे', 'श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम' आदि। पुण्य तिथि पर नमन 🙏🙏🙏

*🙏मैं ज़िंदा हूँ....*

*🙏 मैं ज़िंदा हूँ....*  *एक पार्टी में जहाँ कई मशहूर हस्तियाँ मौजूद थीं, एक बुज़ुर्ग महिला मंच पर छड़ी के सहारे आई और अपनी सीट पर बैठ गई।*   *होस्ट ने पूछा, “क्या आप अब भी डॉक्टर के पास अक्सर जाती हैं?”*   *बुज़ुर्ग महिला बोली, “हाँ, मैं तो अक्सर जाती हूँ!”*   *होस्ट ने पूछा, “क्यों?”*   *बुज़ुर्ग महिला मुस्कराकर बोली, “मरीज़ों को तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए,तभी तो डॉक्टर ज़िंदा रहेगा!”*  *श्रोता तालियों से गूंज उठे उस बुज़ुर्ग महिला की हाज़िरजवाबी पर।*   *फिर होस्ट ने पूछा, “तो क्या आप फार्मासिस्ट के पास भी जाती हैं?”*   *बुज़ुर्ग महिला बोली, “ज़रूर!क्योंकि फार्मासिस्ट को भी तो जीना है!”*  *अबकी बार और ज़्यादा तालियाँ बजीं।*   *होस्ट ने हँसते हुए पूछा, “तो फिर क्या आप फार्मासिस्ट की दी हुई दवा भी लेती हैं?”*   *बुज़ुर्ग महिला बोली, “नहीं! दवाइयाँ तो अक्सर फेंक देतीहूँ…मुझे भी तो जीना है!”*  *इस पर तो पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा।*   *अंत में होस्ट ने कहा, “आपका धन्यवाद कि आप इस...