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Senior citizens should talk more 👍

* READ CAREFULLY* *Please don't miss to read* 👇👇👇👇👇👇👇  Old people are ridiculed when they talk too much, but doctors see it as a blessing : Doctors say that retirees (senior citizens) should talk more because currently there is no way to prevent memory loss. The only way is to talk more.  There are at least 3 benefits of senior citizens talking more.   *First:* Talking activates the brain, because language & thoughts communicate with each other, especially when speaking quickly, this naturally speeds up thinking & improves memory.  Non-verbal senior citizens are more likely to develop memory loss.   *Two : _* Talking more relieves stress, prevents mental illness & reduces stress. Often keeping everything in the heart without saying anything, feeling suffocated & uncomfortable, therefore, it is better to give adults a chance to talk more.   *_Three:_* Speech exercises the active muscles of the face, exercises the throat, increases the ...

Raga Bhairavi,

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A waltz, a raga and the soul of Raj Kapoor’s films How a Romanian song and raga Bhairavi, considered the “queen of melody”, shaped the music of Kapoor’s films, embedding them in the collective consciousness of a nation. Like a river, sometimes a tune can travel thousands of miles, and become etched in our collective memory. Its melodic lines remind us of our lives — the anxieties and learnings, as well as the raptures. In Barsaat (1949), when Pran (Raj Kapoor) plays his violin on a houseboat in Kashmir, his beloved Reshma (Nargis) is so moved by the refrain that she flouts all the conventions that a woman would have to be mindful of in the 1950s. Defying her family and any notions of “izzat”, Reshma rows a shikara in the dead of night, dashing up a ladder to reach the houseboat’s deck and falls into her lover’s arms. The violin remains cradled in one hand. This scene, depicting an all-consuming passion that was rare in Indian cinema then, is unforgettable. So great was its...

हार्दिक शुभ कामनाएं🙏

माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई।। देव दनुज किंनर नर श्रेंनी। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं।। पूजहिं माधव पद जलजाता। परसि अखय बटु हरषहिं गाता।।  माघ में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं। देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं। वेणीमाधव के चरणकमलों को पूजते हैं और अक्षयवट का स्पर्श कर उनके शरीर पुलकित होते हैं।  संक्रान्ति शब्द में ही लगाव है, जुड़ाव है। यह शीत और वसंत की सन्धि है, आकाश और धरती का मिलन है, लोक और शास्त्र का समन्वय है, पोषण और त्याग का समवेत है। इस पर्व में जाने कितने ही अर्थ समाए हैं। यदि त्यौहार की बात करें तो होली में तन-मन है, दीपावली में मन-धन है, पर संक्रान्ति तन-मन-धन का पर्व है। पहले तन का स्नान, फिर धन का दान और मन की उड़ान। इस शुभकामना और आशा के साथ कि उत्तरायण का सूर्य आपके स्वप्नों को नयी ऊष्मा प्रदान करे, आपके यश एवं कीर्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हो, आप सभी परिजनों सहित स्वस्थ रहें और दीर्घायु हों।।

तिल गुड़ के लड्डू

तिल गुड़ के लड्डू  तिल्ली गुड़ के लड्डू खाने के कई फायदे हैं:  पोषक तत्वों से भरपूर तिल्ली में प्रोटीन, फाइबर, और विटामिन बी1 जैसे पोषक तत्व होते हैं। गुड़ में आयरन, कैल्शियम, और पोटैशियम जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं।  पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है तिल्ली में मौजूद फाइबर पाचन को सुधारता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है। गुड़ में मौजूद फाइबर भी पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करता है।  शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है तिल्ली और गुड़ दोनों में मौजूद कार्बोहाइड्रेट और शुगर शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं।  तनाव और थकान को दूर करता है तिल्ली में मौजूद मैग्नीशियम और पोटैशियम तनाव और थकान को दूर करते हैं और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं। गुड़ में मौजूद पोटैशियम भी तनाव और थकान को दूर करने में मदद करता है।  सर्दियों में फायदेमंद तिल्ली और गुड़ दोनों में मौजूद आयरन और विटामिन सी सर्दियों में होने वाली बीमारियों से बचाव में मदद करते हैं।  गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद तिल्ली और गुड़ दोनों में मौजूद आयरन और फोलिक एसिड गर्भवती महिलाओं...

रोटी*

* रोटी* दो -चार बुजुर्ग दोस्त एक पार्क में बैठे हुऐ थे, वहाँ बातों -बातों में रोटी की बात चल गई.. तभी एक दोस्त बोला - जानते हो कि रोटी कितने प्रकार की होती है? किसी ने मोटी, पतली तो किसी ने कुछ और ही प्रकार की रोटी के बारे में बतलाया... तब एक दोस्त ने कहा कि नहीं दोस्त... भावना और कर्म के आधार से रोटी चार प्रकार की होती है।" पहली "सबसे स्वादिष्ट" रोटी "माँ की "ममता" और "वात्सल्य" से भरी हुई। जिससे पेट तो भर जाता है, पर मन कभी नहीं भरता। एक दोस्त ने कहा, सोलह आने सच, पर शादी के बाद माँ की रोटी कम ही मिलती है।"  उन्होंने आगे कहा  "हाँ, वही तो बात है। दूसरी रोटी पत्नी की होती है जिसमें अपनापन और "समर्पण" भाव होता है जिससे "पेट" और "मन" दोनों भर जाते हैं।",  क्या बात कही है यार ?" ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं।  फिर तीसरी रोटी किस की होती है?" एक दोस्त ने सवाल किया। "तीसरी रोटी बहू की होती है जिसमें सिर्फ "कर्तव्य" का भाव होता है जो कुछ कुछ स्वाद भी देती है और पेट भी भर देती है और व...

Life is short—live it fully,

When we die, our money remains in the bank, untouched. Yet, while we are alive, we often feel we don’t have enough to spend. The truth is, when we’re gone, much of what we worked for remains unused. Consider this story: A wealthy business tycoon in China passed away, leaving $1.9 billion in the bank. His widow eventually married his chauffeur. Reflecting on this, the chauffeur said, “All along, I thought I was working for my boss. Now I realize he was working for me.” The reality is harsh but simple: It is more important to prioritize health and well-being over accumulating wealth. Life is about making the most of the time we have, not hoarding what we may never use. A high-end phone? 70% of its features go unused. An expensive car? 70% of its speed and gadgets are unnecessary. A luxurious home? 70% of the space is rarely used. A wardrobe full of clothes? 70% of them are never worn. At the end of a lifetime of earning, 70% of it often benefits others. The challenge, then, is to cherish...

हार्दिक शुभ कामनाएं🙏

माघ मकरगत रबि जब होई। तीरथपतिहिं आव सब कोई।। देव दनुज किंनर नर श्रेंनी। सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं।। पूजहिं माधव पद जलजाता। परसि अखय बटु हरषहिं गाता।।  माघ में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं। देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं। वेणीमाधव के चरणकमलों को पूजते हैं और अक्षयवट का स्पर्श कर उनके शरीर पुलकित होते हैं।  संक्रान्ति शब्द में ही लगाव है, जुड़ाव है। यह शीत और वसंत की सन्धि है, आकाश और धरती का मिलन है, लोक और शास्त्र का समन्वय है, पोषण और त्याग का समवेत है। इस पर्व में जाने कितने ही अर्थ समाए हैं। यदि त्यौहार की बात करें तो होली में तन-मन है, दीपावली में मन-धन है, पर संक्रान्ति तन-मन-धन का पर्व है। पहले तन का स्नान, फिर धन का दान और मन की उड़ान। इस शुभकामना और आशा के साथ कि उत्तरायण का सूर्य आपके स्वप्नों को नयी ऊष्मा प्रदान करे, आपके यश एवं कीर्ति में उत्तरोत्तर वृद्धि हो, आप सभी परिजनों सहित स्वस्थ रहें और दीर्घायु हों।।