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Showing posts from July, 2024

स्वयं की आवाज सुनें ||*

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💦🌨️💦🌨️💦🌨️🌨️💦🌨️💦🌨️💦                         *05 - 07 - 2024*                   *|| स्वयं की आवाज सुनें ||*             *ज्ञान होने पर अपने ही ज्ञान का तिरस्कार करना स्वयं का ही तिरस्कार करना है।जब आपको इस बात का ज्ञान हो जाता है कि ये कार्य गलत है अथवा तो जिस मार्ग पर मैं चल रहा हूँ वो ठीक नहीं है और फिर भी आप अपने को उस गलत कार्य अथवा गलत पथ से ना रोककर अपनी आत्मा की आवाज को दबाते हुए उस पर आगे बढ़ते रहते हैं तो इस तरह आप स्वयं के द्वारा स्वयं के ज्ञान का ही तिरस्कार करते हैं।।*            *आत्मा इन अर्थों में भी परमात्मा का अंश है कि वो कभी भी गलत का समर्थन नहीं करती है।इसलिए सामान्य अवधारणा में भी आत्मा ही परमात्मा है की बात कही जाती है।गहराई से विचार करो कि जब-जब आप किसी गलत मार्ग की ओर बढ़े होंगे,आपकी आत्मा ने आपको अवश्य रोका होगा।आत्मा अपने आपमें उस प्रभु का अंश होने के कारण उचित-अनुचित का ज्ञान रखती ही है।जो लोग अपनी आत्मा की आवाज को अनसुना कर देते हैं वो परमात्मा के दण्ड के भागी भी बन जाते हैं।।* *🙏🏽🌳🪸   जय श्रीकृष्ण*   🪸🌳🙏🏽

ये है गजनी के महल है।

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कल यूट्यूब पर एक पाकिस्तानी लड़के तथा साथ में अफगानिस्तान के इतिहासकार कि कंधार यात्रा देख रहा था। गजनी शहर गये, जँहा मुहम्मद गजनी का कभी महल था। वह महल ऐसा था कि एक पक्के ईंट कि भी दीवार न थी। मिट्टी के मकान जो लगभग ढह चुके थे। उस समय भारत में कोई दरिद्र भी ऐसे घरों में नहीं रह सकता था। कुछ पक्के ईंटो कि जेल थी। ऐसा लगता है कि बाद में लगाया गया था। अफगानिस्तान के इतिहासकार ने बताया कि, उस समय ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान में ऐसे कच्चे मिट्टी के महल थे। जिसमें कुछ जगह पक्की ईंट लगाई गई थी। भारत आते ही ये सब इतने बड़े आर्टीकेट बन गये। धन , कारीगर, कलाकृति , नक्शा सब भारत का, बनाये थे मुगल, ताजिक , गजनी। हमारे यहाँ के वामी इतिहासकार कभी इसकी जहमत नहीं उठाये, मूल स्थानों को देखे क्या है। खान मार्केट में सुट्टा लगाते, कमरे में बैठकर इतिहास लिख दिये। साभार ये है गजनी के महल है। हमारे यहाँ उस जमाने मे भैंस भी ऐसे महलों नहीं बांधी जाती होंगी। इस महल को जो बनाया था, वही आर्टीटेक्ट ने लालकिला भी बनाया है। 🤓🤓🤓🤓🤓🤓 हमारे महलों मन्दिरों पर कब्जा करके मुगल टूचचे इतरा रहे हैं

अचूक आयुर्वेदिक नुस्खा..

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* कोलेस्ट्रोल एवं मोटापा घटाने और कार्यक्षमता बढ़ाने का अचूक आयुर्वेदिक नुस्खा...*     *विधि:--* *50 ग्राम मेथी, 20 ग्राम अजवाइन और 10 ग्राम काली जीरी खरीदकर साफ कर लें और इस मात्रा में प्रत्येक वस्तु को धीमी आंच में तवे के ऊपर हल्का सेंकें।* सेंकने के बाद प्रत्येक को मिक्सर-ग्राइंडर में पीसकर पाउडर बना लें और उसे पारदर्शक डिब्बे में भर लें। *आपकी अचूक दवाई तैयार है।* दवाई लेने की विधि *तैयार दवाई को रात्रि को खाना खाने के बाद सोते समय गरम पानी के साथ एक चम्मच लें। याद रखें कि इसे गर्म पानी के साथ ही लेना है। मरीज को दवाई 30 दिन से 90 दिन तक लेनी होती है।* लाभ इस दवाई को रोज लेने से शरीर के किसी भी कोने में अनावश्यक चर्बी-मैल मल-मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है तथा शरीर स्वस्थ बन जाता है। इस दवाई से न केवल शरीर में अनावश्यक चर्बी दूर हो जाती है बल्कि रक्त का परिसंचरण तीव्र होता है। हृदय रोग से बचाव होता है तथा कोलेस्ट्रोल घटता है।  *पुरानी कब्ज से होेने वाले रोग दूर होते है। पाचन शक्ति बढ़ती है। गठिया-बादी हमेशा के लिए समाप्त होती है। दांत और हड्डियां मजबूत होती हैं।

अभिमान फिल्म Song Review

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Let’s start the day with Susheela Kamat & Pawan Kumar Jain’s 1973  musical drama film -*”Abhimaan”*  directed by Hrishikesh Mukherjee.  The film starred Amitabh Bachchan and Jaya Bhaduri. They were supported by Asrani, David, Durga Khote, A K Hangal, Lalita Kumari and Bindu.  Originally the film was titled "Raag Ragini". This film was produced by Amitabh Bachchan and Jaya Bhaduri's production company, Amiya, whose name was derived from the two actors' names. However, they were not credited as the film's producers. Pawan Kumar, Amitabh Bachchan's secretary, and Sushila Kamat, the film's Chief Assistant Director, were credited as the film's producers. The film was loosely based on the 1970 Bengali Film Bilambita Loy starring Uttam Kumar and Supriya Devi. Hrishikesh Mukherjee stated "Contrary to what people think, Abhimaan was not made with Jaya and Amitabh in mind. Innumerable people, both inside and outside the film industry, keep a

कर्म का प्रतिफल*

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        * कर्म का प्रतिफल* जब कर्ण के रथ का पहिया जमीन में फंस गया तो वह रथ से उतरकर उसे ठीक करने लगा, वह उस समय बिना हथियार के थे...  भगवान कृष्ण ने तुरंत अर्जुन को बाण से कर्ण को मारने का आदेश दिया।  अर्जुन ने भगवान के आदेश को मान कर कर्ण को निशाना बनाया और एक के बाद एक बाण चलाए, जो कर्ण को बुरी तरह चुभता हुआ निकल गया और कर्ण जमीन पर गिर पड़े।  कर्ण, जो अपनी मृत्यु से पहले जमीन पर गिर गया था, उसने भगवान कृष्ण से पूछा, "क्या यह तुम हो, भगवान? क्या आप दयालु हैं? क्या यह आपका न्यायसंगत निर्णय है!  एक बिना हथियार के व्यक्ति को मारने का आदेश?  सच्चिदानंदमय भगवान श्रीकृष्ण मुस्कुराए और उत्तर दिया, "अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु भी चक्रव्यूह में निहत्था हो गया था,जब उन सभी ने मिलकर उसे बेरहमी से मार डाला था,आप भी उसमें थे, तब कर्ण तुम्हारा ज्ञान कहाँ था? यह कर्मों का प्रतिफल है,यह मेरा न्याय है।"  सोच समझकर काम करें,अगर आज आप किसी को चोट पहुँचाते हैं,उनका तिरस्कार करते हैं,किसी की कमजोरी का फायदा उठाते हैं,भविष्य में वही कर्म आपकी प्रतीक्षा कर रहा होगा और शायद वह स्वयं

एक विशिष्ट पत्थर

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अंग्रेजों द्वारा लगाया गया एक विशिष्ट पत्थर जो #मंकनहल्ली जिला हासन कर्नाटक में स्थित है। इस पत्थर के दाहिनी ओर गिरने वाला वर्षा जल कावेरी #नदी से पूर्व की ओर बहकर बंगाल की खाड़ी में चला जाता है और बायीं ओर गिरने वाला वर्षा जल नेत्रावती नदी से पश्चिम की ओर अरब सागर में चला जाता है। प्रकृति की अद्भुत कीमिया जो वर्षों से अनवरत चली आ रही है। उस प्राकृतिक कलात्मकता को  नमन। उस व्यक्ति को बधाई जिसने पहले अवलोकन की खोज की और उस व्यक्ति को बधाई जिसने अंततः यह जानकारी भेजी... गूगल से जानकारी #कावेरी #नेत्रावती #कर्नाटक #बंगाल #अरबी  #kaveri #netravali #karnataka #bayofbengal #ArabianSea #bengal #arab #KaveriForKarnataka #british https://www.timesnowhindi.com/lifestyle/article/karnataka-a-ridge-that-divides-rainwater-between-arabian-sea-and-bay-of-bengal/350535

श्रीमती अनीता नागरसिंह चौहान*

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ये है मध्यप्रदेश के रतलाम से लोकसभा मे भाजपा के टिकिट पर जीतकर संसद मे पंहुची बहन *श्रीमती अनीता नागरसिंह चौहान* मुझे यहा उनका जिक्र इसलिए करना है कि वे आज की युवा पीढ़ी के समक्ष एक आदर्श है वे उच्च शिक्षित  है वे पोस्ट ग्रेजुएट है,  *उन्होने 2019 मे इंदौर इंस्टीट्यूट ऑफ लाॅ से एल.एल.एम की डिग्री ली है*  और  *वर्तमान मे सेज यूनिवर्सिटी से पी.एच.डी कर रही* है। आदिवासी कृषक परिवार से आने वाली अनीता जी ने अपनी संस्कृति नही छोडी ।  जब वे संसद मे शपथ लेने गई तब पारंपरिक आदिवासी वेशभूषा धारण की  जो कौतुकास्पद है। संसद मे उपस्थित हर सांसद उन्हे देखता रह गया वे सिर्फ सबके आकर्षण का केन्द्र ही नही थी बल्कि भारत मे महिला सशक्तिकरण का जीता जागता उदाहरण भी थी. उन्होने बताया  *अपनी संस्कृति अपनी वेशभूषा पर हमे गर्व करना चाहिए*  आखिर हम विश्व मे अनोखे है। 🙏इस मातृशक्ति को प्रणाम।🙏 🚩भारत माता की जय।🚩 🙏🙏वंदे मातरम 🙏🙏