स्वयं की आवाज सुनें ||*
💦🌨️💦🌨️💦🌨️🌨️💦🌨️💦🌨️💦 *05 - 07 - 2024* *|| स्वयं की आवाज सुनें ||* *ज्ञान होने पर अपने ही ज्ञान का तिरस्कार करना स्वयं का ही तिरस्कार करना है।जब आपको इस बात का ज्ञान हो जाता है कि ये कार्य गलत है अथवा तो जिस मार्ग पर मैं चल रहा हूँ वो ठीक नहीं है और फिर भी आप अपने को उस गलत कार्य अथवा गलत पथ से ना रोककर अपनी आत्मा की आवाज को दबाते हुए उस पर आगे बढ़ते रहते हैं तो इस तरह आप स्वयं के द्वारा स्वयं के ज्ञान का ही तिरस्कार करते हैं।।* *आत्मा इन अर्थों में भी परमात्मा का अंश है कि वो कभी भी गलत का समर्थन नहीं करती है।इसलिए सामान्य अवधारणा में भी आत्मा ही परमात्मा है की बात कही जाती है।गहराई से विचार करो कि जब-जब आप किसी गलत मार्ग की ओर बढ़े होंगे,आपकी आत्मा ने आपको अवश्य रोका होगा।आत्मा अपने आपमें उस प्रभु का अंश होने के कारण उचित-अनुचित का ज्ञान रखती ही है।जो लोग अपनी आत्मा की आवाज को अनसुना कर देते हैं वो परमात्मा के दण्ड के भागी भी बन जाते हैं।।* *🙏🏽🌳🪸 जय श्रीकृष्ण* 🪸🌳🙏🏽